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मरुधर गूंज, बीकानेर (23 अक्टूबर, 23)। विजयादशमी सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे पूरे भारत में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक भी माना जाता है। इस त्योहार का हिंदुओं के बीच बहुत धार्मिक महत्व है। यह आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दशहरा या विजयादशमी मनाया जाता है। इस दिन लोग भगवान श्री राम के साथ-साथ मां दुर्गा की भी पूजा करते हैं।
कहि न जाइ कछु नगर बिभूती। जनु एतनिअ बिरंचि करतूती।।
सब बिधि सब पुर लोग सुखारी। रामचंद मुख चंदु निहारी।।''
''एक समय सब सहित समाजा। राजसभां रघुराजु बिराजा।।
सकल सुकृत मूरति नरनाहू। राम सुजसु सुनि अतिहि उछाहू।।''
''मुदित मातु सब सखीं सहेली। फलित बिलोकि मनोरथ बेली।।
राम रूपु गुन सीलु सुभाऊ। प्रमुदित होइ देखि सुनि राऊ।।
दशमी तिथि का प्रारम्भ 23 अक्टूबर - शाम 05:44 बजे तक।
दशमी तिथि का समापन 24 अक्टूबर- शाम 03:14 तक।
दशमी तिथि विजय मुहूर्त - दोपहर 01:26 बजे से दोपहर 02:12 बजे तक।
भारत में दशहरे का बहुत धार्मिक महत्व है। नैतिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए भी लोग इस त्योहार को मनाते हैं। दशहरा की कहानी हिंदू पौराणिक कथाओं से जुड़ी हुई है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस दिन भगवान राम ने राक्षस रावण का वध किया था। इसी दिन मां दुर्गा ने भयानक राक्षस महिषासुर का वध किया था। ऐसे में इस दिन को असत्य पर सत्य की जीत के रूप में भी माना जाता है। इसके अलावा इस दिन कई जगहों पर रामलीला का भी आयोजन होता है।
विजय का सूचक है पान
दशहरा के दिन रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाद दहन के पश्चात पान का बीणा खाना सत्य की जीत की ख़ुशी को व्यक्त करता है। इस दिन हनुमानजी को मीठी बूंदी का भोग लगाने बाद उन्हें पान अर्पित करके उनका आशीर्वाद लेने का महत्त्व है। विजयादशमी पर पान खाना, खिलाना मान-सम्मान, प्रेम एवं विजय का सूचक माना जाता है।
नीलकंठ के दर्शन है शुभ
लंकापति रावण पर विजय पाने की कामना से मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने पहले नीलकंठ पक्षी के दर्शन किए थे। नीलकंठ पक्षी को भगवान शिव का प्रतिनिधि माना गया है। दशहरा के दिन नीलकंठ के दर्शन और भगवान शिव से शुभफल की कामना करने से जीवन में भाग्योदय,धन-धान्य एवं सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
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