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बीकानेर। हिंदू धर्म में मौनी अमावस्या का विशेष महत्व है। यह पर्व हर साल माघ मास की अमावस्या को मनाया जाता है। इस साल माघ महीने की मौनी अमावस्या 21 जनवरी को शनिवार के दिन पड़ रही है। इस कारण यह अमावस्या कई मायनों में बेहद खास मानी जा रही है। शनिवार के दिन मौनी अमावस्या के पड़ने से इस बार शनि का शुभ संयोग बन रहा है। ऐसे में इस बार मौनी अमावस्या के दिन शनि देव की विधिवत पूजा करने से कई तरह के शुभ परिणामों की प्राप्ति होगी।
साढ़ेसाती और ढैय्या -
इस साल मौनी अमावस्या के दिन शनि अमावस्या भी है। ऐसे में इस दिन स्नान करने के बाद शनि देव की पूजा जरूर करें। उन्हें काला तिल और सरसों का तेल अर्पित करें। शनि गोचर के कारण जिन राशियों पर शनि की साढेसाती और ढैय्या शुरू हुई है। इस दिन शनि देव की उपाय करने से इनका दुष्प्रभाव कम हो जाता है।
तिथि -
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस दिन मौनी अमावस्या 21 जनवरी सुबह 6 बजकर 17 मिनट से 22 जनवरी रात 2 बजकर 22 मिनट तक रहेगी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन प्रयागराज के संगम में भगवान विष्णु स्नान करने आते हैं। वहीं, हरिद्वार में गंगा, उज्जैन में शिप्रा और नासिक में गोदावरी में इस दिन स्नान करने से अमृत की बूंदों का स्पर्श प्राप्त होता है।
मौनी अमावस्या महत्व -
मौनी अमावस्या पर गंगा, यमुनी और शिप्रा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करन की मान्यता है। इस दिन साधू-संत और धार्मिक कार्यों में रुचि रखने वाले प्रयागराज में संगम में डुबकी लगाते हैं। इसके अलावा इस दिन साधु संत मौन व्रत भी धारण करते हैं। स्नान के बाद सूर्य देवता को अर्घ्य देकर पूजन किया जाता है। इस पूजन से पितरों की आत्मा प्रसन्न होती है। इसके साथ ही इस दिन जरूरतमंदों को दान भी जरूर करना चाहिए। इस दिन गरम कपड़े, कंबल, फल और अन्न का दान करना भी शुभ माना जाता है। इस बार यह अमावस्या शनिवार को होने की वजह से यदि आप शनि से जुड़ी वस्तुओं का दान करेंगे तो यह विशेष फल प्रदान करने वाला माना जाएगा।
मौनी अमावस्या पूजाविधि -
मौनी अमावस्या पर सबसे पहले जल्दी उठकर गंगा स्नान करें। यदि गंगा स्नान करना संभव न हो तो इस दिन घर पर ही जल में गंगाजल डालकर स्नान करें। स्नान के बाद सूर्य को तांबे के लोटे में काले तिल डालकर अघ्र्य दें। उसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करके ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और पितरों के नाम से दान-पुण्य करें। कहते हैं कि मौनी अमावस्या पर दान करने से देवों के साथ-साथ पितर भी प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं।
इस बार क्यों है खास शनिश्चरी अमावस्या -
नए साल की पहली शनिश्चरी अमावस्या 21 जनवरी है। इस बार खास संयोग यह है कि मौनी शनिश्चरी अमावस्या पर शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में रहेंगे। इसके साथ ही इस बार शनिश्चरी अमावस्या पर खप्पर योग, चतुरग्रही योग, षडाष्टक योग और समसप्तक योग रहने से यह बहुत खास मानी जा रही है। शनिदेव को प्रसन्न और अपनी गलतियों का प्रायश्चित करने के लिए इस बार की शनिश्चरी अमावस्या सबसे खास होगी। इस दिन शनि की प्रिय वस्तुओं का दान करके आप उनकी कृपा के पात्र बन सकते हैं। इस दिन काले कंबल, काले जूते, काले तिल, काली उड़द का दान करना सबसे उत्तम माना गया है। शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन सरसों के तेल से शनि महाराज का अभिषेक करने से शनिदेव आपकी सभी गलतियों को माफ करते हैं। इसके साथ शनि मंदिर में जाकर दशरथ कृत शनि स्त्रोत का पाठ करें।
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