जानिए फरवरी में महत्वपूर्ण त्योहारों की क्या है मान्यता





म्हारो बीकाणो। फरवरी महीने की शुरुआत ही कई शुभ योग और तिथि के साथ हो रही हैं। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ भगवान विष्णु की एकादशी से हो रही है। इसके अलावा इस महीने में माघ पूर्णिमा, महाशिवरात्रि, सोमवती अमावस्या जैसे प्रमुख त्योहार भी हैं। इन सभी व्रत त्योहार का धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है। फरवरी माह में दो चीजें बेहद खास हो रही हैं। पहला इस महीने दो एकादशी जया और विजया एकदाशी पड़ रही हैं और दूसरा चार बड़े ग्रहों का राशि परिवर्तन इस महीने वाला है। ऐसे में फरवरी माह ग्रह-नक्षत्र और श्रद्धा व आस्था की दृष्टि से विशेष महत्व रखता है। इस दिन कई शुभ योग बन रहे हैं। माघ पूर्णिमा के दिन प्रयागराज में स्नान किया जाता है। मान्यता है कि इस शुभ तिथि पर देवता पृथ्वी लोक पर आते हैं और पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। इसके साथ ही एक महीने तक चलने वाला कल्पवास भी माघ पूर्णिमा के दिन खत्म हो जाता है। इसके साथ ही इस दिन रविदास जंयती भी मनाई जाएगी। आइए जानते हैं कि इस महीने में पड़ने वाले त्योहारों में क्या है खास...!


विजया एकादशी (17 फरवरी, शुक्रवार)

विजया एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की अत्यंत प्रिय मानी जाती है, यह व्रत समस्य पापों का हरण करने वाली है। भगवान कृष्ण ने बताया है कि इस एकादशी का व्रत करने से वाजपेय यज्ञ के बराबर पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

महाशिवरात्रि (18 फरवरी, शनिवार)

महाशिवरात्रि इस बार बेहद खास होने वाली है क्योंकि इस शुभ तिथि पर शनि प्रदोष का संयोग भी बन रहा है। यह दिन शिव भक्तों के लिए बेहद खास होता है क्योंकि इस दिन शिव और शक्ति का मिलन हुआ था। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधि विधान के साथ पूजा-अर्चना करने से भक्त जीवन और मृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाते हैं।


सोमवती अमावस्या (20 फरवरी, सोमवर)

हिंदू धर्म में इस तिथि का विशेष महत्व है। यह साल की पहली अमावस्या है, इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है। इस दिन पूजा-पाठ और स्नान व दान करने का विशेष महत्व है। साथ ही सुहागिन महिलाएं भी पति और संतान के कल्याण के लिए व्रत रखती हैं।


होलाष्टक आरंभ (27 फरवरी, सोमवार)

होली के आठ दिन पहले से होलाष्टक लग जाते हैं इसलिए 27 फरवरी से होलाष्टक शुरू हो जाएंगे और 8 मार्च तक मान्य रहेंगे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, होलाष्टक में कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित बताया गया है।






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