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बीकानेर। कर्नाटक की हार के बाद पीएम मोदी बेगफुट पर दिखाई दे रही है। पार्टी को अभी तक समझ में नहीं आ रहा है कि कर्नाटक में इतनी बड़ी हार कैसे हो गई। उम्मीदे जीत की थी सरकार बनाने की चल रही थी, लेकिन चुनाव परीणाम बड़ी हार लेकर सामने आये। अब भाजपा चुनावी तैयारी में जुट गई है। साल के आखरी में चुनाव होने है। मध्यप्रदेश में सरकार भाजपा की है और शिवराज सिंह की लोकप्रियता चुनावी साल में बढ़ती दिखाई दे रही है। शिवराज को छेड़ा नहीं जायेगा उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाना तय माना जा रहा है।
छत्तीसगढ़ में रमन सिंह पिछले 15 साल से सीएम रहे, लेकिन पार्टी के सर्वे में रमन सिंह भूपेश पटेल के सामने कमजोर दिखायी दे रहे है। छत्तीसगढ़ में पार्टी के लिए राहत की बात है कि भाजपा में गुटबाजी का संकेत नहीं है। ऐसे में छत्तीसगढ़ में भाजपा पीएम मोदी के नाम से चुनाव लड़ेगी यह तय माना जा रहा है। सबसे बड़ी परेशानी राजस्थान में देखने को मिल रही है। क्योंकि राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकारी है। जिन्होंने अपने कार्यकाल में जनहितों के फैसले ले रहे है। किसी की प्रवाह नहीं कर रहे है। एक बार फिर से राजस्थान में कांग्रस की सरकार का दावा कर रहे है। यही दूसरी ओर राजस्थान में भाजपा कई गुटों में बंटी हुई है। एक गुट का नेता कार्यक्रम करता है तो दूसरा उसकी दूरी बना लेता है। जिसस कारण कार्यक्रमों में भीड़ दिख नहीं रही है। केवल पीएम मोदी के जन सभाओं में भीड़ दिखाई दे रही है या फिर वसुंधरा के निजी कार्यक्रम में ही भीड़ आ रही है। जब कि सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट नेताओं के कार्यक्रमों में लोगों की जमकर भीड़ उमड़ रही है। वैसे तो भाजपा की तरह कांग्रेस में भी गुटबाजी है। लेकिन चुनाव से पहले गुटबाजी दूर हो सकती है। ऐसे में भाजपा के सामने पीएम मोदी के नाम पर चुनाव लड़े या सीएम उम्मीदवार घोषित करें। पीएम मोदी के नाम पर चुनाव लड़कर कर्नाटक में चुनाव हार चुकी है और वो कर्नाटक वाली गलती राजस्थान में दोहराने को तैयार नहीं है। कर्नाटक में पार्टी लोकप्रिय नेता यदूरप्पम को किनारे लगा दिया गया था। जिसका नुकसान उसको हुआ। ऐसे में राजस्थान की पार्टी के याद भाजपा को छ माह पहले आ रही है।
राजस्थान में वसुन्धरा राजे को फ्रंटफूट पर लाने की तैयारी कर रही है। कर्नाटक की हार से सबक ले रही है। स्थानीय नेताओं को तरहीज देने की रणनीति कर रही है। मना यह भी जा रहा है कि मोदी पार्टी का सबसे बड़ा चेहरा होंगे लेकिन इसके साथ ही पूर्व सीएम वसुन्धरा राजे को मजबूत स्थिति के साथ सामने रखा जाएगा। राजनैतिक विशलेषको का कहना है कि कर्नाटक चुनाव में स्थानीय नेताओं की कमी देखी गयी। जिसका खामियाजा पार्टी ने इस चुनाव में उठाया। मना जा रहा है कि 2023 में स्थानीय नेताओं पर अधिक फोकस करना होगा। ऐसे में उमीद की जा रही है कि पीएम मोदी के साथ पूर्व सीएम वसुन्धरा राजे तरहीज मिलेगी। पार्टी राजे को शीर्ष नेतृत्व पर बड़ी भूमिका देने पर विचार कर रही है। ताकि आने वाले चुनाव में राज्य के जनआधार के जरिये सता वापसी की जा सके। इस बात पर मंथन कर रही है जो नेता अलग-अलग चल रहे है उन्हें एक मंच पर कैसे साथ लाया जाये। वैसे वसुंधरा राजे के भाजपा में पद के साफ संकेत महीने की 24 या 25 को मिलेंगे। जब पार्टी के अध्यक्ष जेपी नडडा राजस्थान दौरे पर पहुंचेगें और दावा यह भी किया जा रहा है कि नडï्डा के दौरे में सबसे ज्यादा इसबार पार्टी उन्हें आगे बढ़ाने में है।
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