on
Education
- Get link
- X
- Other Apps
मरुधर गूँज, बीकानेर (29 सितंबर, 2023)। पितृपक्ष भाद्रपद को श्राद्ध का महीना भी कहा जाता है।इसमें पितरों के तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करने की परंपरा है। श्राद्ध में पितरों के नाम उच्चारण करके भोजन, पानी, वस्त्र, और अन्य वस्तुएं दान किए जाते हैं। पितरों की पुण्यतिथि पर श्राद्ध किया जाता है। पिंडदान के द्वारा पितृ तर्पण किया जाता है, जिससे पितृ आत्मा को शांति मिलती है।
मान्यता है कि पितरों के आत्मा इस अवसर पर पिंडदान के माध्यम से भोजन और वस्त्र का आनंद लेते हैं और अपने संतानों की खुशियों का ध्यान रखते हैं। पितृपक्ष में पिंडदान करने से पितृ आत्माएं संतुष्ट होती हैं और उन्हें शांति मिलती है।
पितरों को जल देने का सही समय
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार हथेली के जिस हिस्से पर अंगूठा होता है, वह हिस्सा पितृ तीर्थ कहलाता है। पितरों को जल देने का समय प्रात: 11:30 से 12:30 के बीच का होता है।
पितृपक्ष प्रतिपदा तिथि
29 सितंबर को भाद्रपद पूर्णिमा दोपहर 03 बजकर 26 मिनट तक है और उसके बाद से आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि शुरू हो जाएगी, जो 30 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 21 मिनट तक है. पितृपक्ष के दौरान प्रतिदिन पितरों के लिए तर्पण करना चाहिए. तर्पण करने के बाद पितरों से प्रार्थना करें और गलतियों के लिए क्षमा मांगें
पिंडदान करने की विधि
पिंडदान करने वाले व्यक्ति को सफेद वस्त्र पहनने चाहिए। चावल, दूध, घी, शहद और गुड़ को मिलाकर गोल पिंड बनाने चाहिए। पिंड बनाने के बाद चावल, कच्चा सूत, दही, दूध और अगरबत्ती आदि सामग्री से पिंड की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद जनेऊ को दाएं कंधे में पहनकर, पितरों का ध्यान करना चाहिए।
पितृ पक्ष में पूर्वजों को जल देने का विधान
पितृपक्ष यानी श्राद्ध का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है। पितृपक्ष के दौरान पूर्वजों को श्रद्धापूर्वक याद करके उनका श्राद्ध कर्म किया जाता है। पितृपक्ष में पितरों को तर्पण देने और श्राद्ध कर्म करने से उनको मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दौरान न केवल पितरों की मुक्ति के लिए श्राद्ध किया जाता है, बल्कि उनके प्रति अपना सम्मान प्रकट करने के लिए भी किया जाता है। पितृपक्ष में श्रद्धा पूर्वक अपने पूर्वजों को जल देने का विधान है।
पितृपक्ष में तर्पण विधि
-: पितृ प्रार्थना मंत्र :-
पितृभ्य:स्वधायिभ्यः स्वधा नमः।
पितामहेभ्य:स्वधायिभ्यः स्वधा नमः।।
प्रपितामहेभ्य:स्वधायिभ्यः स्वधा नमः।
सर्व पितृभ्यो द्ध्या नमो नमः।।
ॐ नमो व :पितरो रसाय नमो वः
पितरः शोषाय नमो वः
पितरो जीवाय नमो व:
पीतर: स्वधायै नमो वः
पितरः पितरो नमो वो
गृहान्न: पितरो दत्त: सत्तो वः
घर पर श्राद्ध करने की विधि
पितृ पक्ष में तिथि का महत्व
पितृ पक्ष जब प्रारंभ होता है, तो उसके हर दिन की एक तिथि होती है। तिथि के अनुसार ही श्राद्ध करने का विधान है। जैसे इस साल 30 सितंबर को द्वितीया श्राद्ध है यानि पितृ पक्ष में श्राद्ध की द्वितीया तिथि है। जिन लोगों के पितरों का निधन किसी भी माह की द्वितीया तिथि को हुआ होता है, वे लोग अपने पितरों का श्राद्ध कर्म पितृ पक्ष में द्वितीया श्राद्ध को करते हैं। ऐसे ही जिसके पूर्वज का निधन किसी भी माह और पक्ष की नवमी तिथि को हुआ होगा। वे लोग पितृ पक्ष की नवमी श्राद्ध को उनके लिए तर्पण, पिंडदान आदि करेगा।
मृत्यु तिथि की जानकारी नहीं होने पर करें इस दिन श्राद्ध
अगर आपको अपने पितरों के निधन की तिथि की जानकारी नहीं है तो ऐसे में आप सर्व पितृ अमावस्या के दिन उनके लिए श्राद्ध कर सकते हैं। इस दिन ज्ञात और अज्ञात सभी पितरों के लिए श्राद्ध किया जाता है।
यहां जानें श्राद्ध की महत्वपूर्ण तिथियां
29 सितंबर 2023 - शुक्रवार - पूर्णिमा श्रद्ध
29 सितंबर 2023 - शुक्रवार - प्रतिपदा श्राद्ध
30 सितंबर 2023 - शनिवार - द्वितीया श्राद्ध
01 अक्टूबर 2023 - रविवार - तृतीया श्राद्ध
02 अक्टूबर 2023 - सोमवार - चतुर्थी श्रद्ध
03 अक्टूबर 2023 - मंगलवार - पंचमी श्राद्ध
04 अक्टूबर 2023 - बुधवार - षष्ठी श्राद्ध
05 अक्टूबर 2023 - गुरुवार - सप्तमी श्राद्ध
06 अक्टूबर 2023 - शुक्रवार - अष्टमी श्राद्ध
07 अक्टूबर 2023 - शनिवार - नवमी श्राद्ध
08 अक्टूबर 2023 - रविवार - दशमी श्राद्ध
09 अक्टूबर 2023 - सोमवार - एकादशी श्राद्ध
11 अक्टूबर 2023 - बुधवार - द्वादशी श्राद्ध
12 अक्टूबर 2023 - गुरुवार - प्रयोदशी श्राद्ध
13 अक्टूबर 2023 - शुक्रवार - चतुर्दशी श्राद्ध
14 अक्टूबर 2023 - शनिवार - सर्वपितृ अमावस्या
डिसक्लेमर - 'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'
लोकप्रिय न्यूज पोर्टल 'मरुधर गूंज' केवल बीकानेर और राजस्थान नहीं बल्कि पूरे भारत में प्रति दिन हजारों लोगों के द्वारा देखा जाता है। हमारा आग्रह है कि आपके द्वारा भेजे गये समाचारों को ज्यादा से ज्यादा लाखों लोगों तक सहज से पहुंचा सकें। 'मरुधर गूंज' आपके समाचारों को भी आम जनता तक पहुंचाएगा। आपका सहयेग हमारी ऊर्जा है। कृपया आपके वाट्सएप्प से और ई-मेल को जोडऩे के लिए सहयाोग करें।
Comments
Post a Comment
Comment for more information