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मरुधर गूंज, बीकानेर (10 अक्टूबर, 23)। सनातन धर्म में पितर पक्ष की अवधि का विशेष महत्व है। इस अवधि में पितरों का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान आदि करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस साल पितर पक्ष की शुरुआत 29 सितंबर से हो चुकी है। माना जाता है कि पितर पक्ष में हमारे पितर हमसे विभिन्न रूपों में मिलने आते हैं। कई बार हम उन्हें पहचान नहीं पाते और अनजाने में ऐसी कोई भूल कर बैठते हैं, जिसके कारण हमें पितर दोष का सामना करना पड़ सकता है।
पितर पक्ष में का कोई का विशेष महत्व है
पितर पक्ष के दौरान कौए का विशेष महत्व माना गया है। क्योंकि यह माना जाता है कि पितर पक्ष में 15 दिनों तक कौआ जो अन्न ग्रहण करता है वह पितरों को प्राप्त होता है। जिससे वह तृप्त होते हैं और अपने परिजनों को कुशल जीवन का आशीर्वाद देते है। ऐसे में कभी भी आपके घर आए कौए को भगाना नहीं चाहिए। इससे पुत्र नाराज हो सकते हैं।
इन लोगों का न करें अनादर
पितर पक्ष के दौरान आपके घर कोई मेहमान, गरीब और जरूरतमंद व्यक्ति आता है तो उसका कभी अनादर न करें। क्योंकि यह भी पितरों के आगमन का संकेत हो सकता है। यदि आप इन लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था करते हैं तो इससे पितर प्रसन्न होते हैं।
इनका द्वार पर आना है शुभ
पितर पक्ष के दौरान यदि आपके द्वार पर गाय आती है तो यह बहुत ही शुभ संकेत माना जाता है। ऐसे में गाय को कुछ-न-कुछ खाने को जरूर दें उन्हें भगाए नहीं। वहीं पितर पक्ष में बहुत-सी लाल चींटियों को दिखना पितरों की मौजूदगी का संकेत हो सकता है। ऐसी स्थिति में आपको चीटियों को आटा डालना चाहिए। इससे पितरों को शांति मिलती है।
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