on
Education
- Get link
- X
- Other Apps
मरुधर गूंज, बीकानेर (07 अक्टूबर, 23)। प्रतिदिन नियमानुसार करें तर्पण
गोस्वामी तुलसीदास ने पितर पक्ष को पितरों का महोत्सव कहा है। उन्हें स्मरण करने और श्रद्धा पूर्वक श्राद्ध व तर्पण करने का काल है। ज्योतिषाचार्य प्रेम शंकर शर्मा का कहना है कि पौराणिक ग्रंथों में भी बताया गया है कि तर्पण ऋषियों का नैत्यिक व शुभ कार्य था।
श्राद्ध की हैं दो विधियां
ज्योतिषाचार्य प्रेम शंकर शर्मा का कहना है कि तर्पण इसमें जिस दिन पूर्वज की देहांत की तिथि होती है, उस दिन तर्पण किया जाता है। जल में गंगाजल, जौ, गाय का कच्चा दूध, काले तिल, चावल और लाल फूल मिलाए जाते हैं। दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके दोपहर के समय पितरों को तर्पण करते हैं। हाथ में कुशा रखते हैं। ज्योत लेकर पूर्वजों की पसंद के व्यंजन बनाते हैं। जले कंडे की ज्योत लेकर भोग लगाते हैं। पांच जगह भोजन निकाला जाता है। एक गाय के लिए, दूसरा कौआ, तीसरा स्वान के लिए, चौथा चींटी और पांचवां ब्राह्मण के लिए।
डिसक्लेमर - 'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'
लोकप्रिय न्यूज पोर्टल 'मरुधर गूंज' केवल बीकानेर और राजस्थान नहीं बल्कि पूरे भारत में प्रति दिन हजारों लोगों के द्वारा देखा जाता है। हमारा आग्रह है कि आपके द्वारा भेजे गये समाचारों को ज्यादा से ज्यादा लाखों लोगों तक सहज से पहुंचा सकें। 'मरुधर गूंज' आपके समाचारों को भी आम जनता तक पहुंचाएगा। आपका सहयेग हमारी ऊर्जा है। कृपया आपके वाट्सएप्प से और ई-मेल को जोडऩे के लिए सहयाोग करें।
Comments
Post a Comment
Comment for more information