जानिए कब है इंदिरा एकादशी व्रत के पारण का समय, दिन में इस मंत्र का करें जाप

 



        मरुधर गूंज, बीकानेर (09 अक्टूबर, 23)। इस वर्ष आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 9 अक्टूबर 2023 को सोमवार को मनाई जाएगी। कहा जाता है कि इस दिन अपने पितरों का तर्पण किया जाए, तो उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। एकादशी श्राद्ध का महत्व तो सभी जानते हैं। इस दिन का महत्व इसलिए और भी बढ़ जाता है क्योंकि यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित माना जाता है। मान्यता है कि जो लोग इस दिन पितृ दोष पूजा, पितृ तर्पण और पिंड दान आदि कार्य करते हैं, उनके पूर्वज जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति पाते हैं। साथ ही उन्हें भगवान विष्णु उन्हें अपने यहां स्थान देते हैं। 


एकादशी श्राद्ध का महत्व 

    एकादशी श्राद्ध का धार्मिक और आध्यात्मिक दोनों तरह से बहुत महत्व है। यह दिन पितरों को समर्पित माना जाता है। इन खास दिनों में पूर्वज धरती पर आते हैं। साथ ही इस दिन भगवान विष्णु की पूजा भी की जाती है। इस पवित्र दिन पर भगवान विष्णु से अपने पूर्वजों की मुक्ति के लिए प्रार्थना करने के साथ-साथ पितृ तर्पण और पिंड दान किया जाए, तो भगवान विष्णु उन्हें आशीर्वाद देते हैं। 


    भगवान विष्णु उन्हें अपने निवास 'बैकुंठ धाम' में स्थान भी देते हैं। जिन लोगों के पूर्वज अपने पिछले बुरे कर्मों के कारण मृत्यु के देवता यमराज द्वारा यमलोक में दंडित किए जा रहे हैं, उनके लिए भी इस एकादशी श्राद्ध को करने से पीड़ा से मुक्त हो जाते हैं।


एकादशी तिथि और समय

  • एकादशी तिथि शुरुआत - 9 अक्टूबर, 2023 - 12 बजकर 36 मिनट से
  • एकादशी तिथि समाप्त - 10 अक्टूबर 2023 - 03 बजकर 08 तक
  • व्रत पारण समय- 11 अक्टूबर 2023 को सुबह 06:19 बजे से 08:38 बजे की मध्य
  • पारण तिथि - द्वादशी समाप्त होने का समय शाम 05:36 बजे


  • इंदिरा एकादशी पर कैसे करें पूजा 


  • सुबह स्नान आदि के बाद मंदिर की साफ सफाई करें और व्रत का संकल्प लें। इसके बाद भगवान श्री हरि विष्णु का जलाभिषेक करें। पंचामृत से भगवान विष्णु की प्रतिमा का अभिषेक करें। इसके बाद गंगाजल से भी अभिषेक कर सकते हैं। अब प्रभु को पीला चंदन और पीले पुष्प अर्पित करें और शुद्ध घी का दीपक प्रज्वलित करें। व्रत का संकल्प लेकर इंदिरा एकादशी व्रत का पाठ करें और दिन में ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें। व्रत के आखिर में भगवान श्री हरि विष्णु और लक्ष्मी जी की आरती करें और प्रसाद का भोग लगाएं। आखिर में किसी भी गलती के लिए क्षमा प्रार्थना भी करें।

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