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मरुधर गूंज, नई दिल्ली (02 अक्टूबर, 23)। पितृपक्ष की शुरुआत भाद्रपद माह की पूर्णिमा से होती है और आश्विन अमावस्या तक के ये 16 दिन पितरों को समर्पित होते हैं। इस बार पितृ पक्ष 29 सितंबर से शुरू हुआ है और 14 अक्टूबर को समाप्त होगा। माना जाता है कि इन 16 दिनों के दौरान पूर्वज धरती पर अपने परिवार से मिलने आते हैं। पितृ पक्ष में परिवार द्वारा किए गए तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान आदि से पितर संतुष्ट होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। पितृ पक्ष में श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान आदि जरूर करना चाहिए।
ज्योतिषाचार्य प्रेम शंकर शर्मा के अनुसार पितृपक्ष के दौरान पूर्वज प्रसन्न या नाराज होते हैं, तो सपने में आते हैं। इस दौरान अगर आपको भी अपने पितरों के दर्शन होते हैं तो आपको जान लेना चाहिए कि पितर किस ओर संकेत दे रहे हैं।
मिठाई बांटते देखना
यदि पितृ पक्ष के दौरान सपने में पूर्वज मिठाई बांटते हुए नजर आएं, तो यह एक शुभ संकेत होता है। आपको बता दें कि आपके द्वारा किए गए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान कर्म को पितरों ने स्वीकार कर लिया है और वे संतुष्ट हैं। आपका घर जल्द ही सुख-समृद्धि से भर जाएगा।
मदद मांगते देखना
पितृ पक्ष के दौरान यदि कोई व्यक्ति सपने में अपने किसी पूर्वज को अपनी ओर हाथ बढ़ाते हुए देखता है, तो इसे शुभ माना जाता है। इस सपने यह मतलब है कि व्यक्ति के पूर्वज उससे प्रसन्न हैं और सभी परेशानियां जल्द ही दूर हो जाएंगी। साथ ही घर में खुशियों का आगमन होने वाला है।
चुपचाप बैठे देखना
स्वप्न शास्त्र के अनुसार यदि किसी व्यक्ति के पूर्वज सपने में शांत दिखाई दें, तो समझ लें कि वह अपने परिवार के सदस्यों के बीच शांति चाहते हैं। ऐसे में आपको पितृपक्ष में पितरों के श्राद्ध कर्म के साथ-साथ कुछ उपाय भी करने चाहिए।
पूर्वजों से बात करते देखना
यदि कोई व्यक्ति सपने में अपने पूर्वजों से बात करता देखता है, तो समझ लें कि उसे भविष्य में किसी काम में बड़ी सफलता मिलने वाली है। वहीं, यदि सपने में आप अपने पितरों को बाल संवारते हुए देखें, तो यह इस बात की ओर इशारा है कि वे प्रसन्न हैं। यह अच्छे दिनों की शुरुआत का संकेत है।
डिसक्लेमर - 'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'
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