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मरुधर गूंज, बीकानेर (22 अक्टूबर, 23)। हिंदू धर्म में दीपावली पर्व के पहले दशहरा पर्व मनाया जाता है और इसे पूरे देश में पूरी आस्था के साथ मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता है कि इसी दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था। बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में इस त्योहार को मनाया जाता है। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, दशहरे के दिन अपराजिता और शमी के पेड़ की पूजा का भी विधान है, जानें क्या है इसका धार्मिक महत्व।
जानें क्या है पौराणिक मान्यता
हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि दशहरा पर्व पर अपराजिता और शमी के पौधे की पूजा करने से भगवान राम की कृपा हमेशा बनी रहती है। इससे घर के सभी सदस्यों पर देवी लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। अपराजिता और शमी के पौधे को सोने और चांदी जैसी अमूल्य धातुओं के समान माना जाता है।
अपराजिता पौधे की पूजा
डिसक्लेमर - 'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'
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