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मरुधर गूंज, बीकानेर (15 नवम्बर, 23)। सनातन धर्म में छठ पूजा का विशेष महत्व है। यह पर्व विशेषकर उत्तर भारत में उत्साह के साथ मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के मुताबिक, छठ पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से नहाय-खाय की परंपरा के साथ शुरू हो जाता है और इसका समापन सप्तमी तिथि को होता है। इस दौरान सूर्य देव को अर्घ्य देने का विशेष महत्व माना गया है।
चार दिन का छठ पर्व
17 नवंबर - शुक्रवार - चतुर्थी तिथि- नहाय खाय की शुरुआत
18 नवंबर - शनिवार - पंचमी तिथि - खरना
19 नवंबर - रविवार - षष्ठी तिथि - डूबते सूर्य को अर्घ्य
20 नवंबर - सोमवार - सप्तमी तिथि- उगते सूर्य को जल अर्पित कर व्रत का पारण
36 घंटे तक रखते हैं कठिन व्रत
चार दिनों तक चलने वाले छठ पर्व में सूर्य और छठी माता की पूजा की जाता है। इस दौरान देवी को प्रसाद के रूप में घर पर तैयार किया हुआ ठेकुआ प्रसाद अर्पित किया जाता है। छठ व्रत को 36 घंटों तक कठिन नियमों का पालन करते हुए रखा जाता है।
नहाय-खाय तिथि पर शुभ मुहूर्त
छठ पूजा का पहला दिन नहाय-खाय होता है। पंडित आशीष शर्मा के मुताबिक, नहाय-खाय इस साल 17 नवंबर को है। इस दिन सूर्योदय 06:45 बजे होगा वहीं, सूर्यास्त शाम 05:27 बजे होगा। इस दौरान नदी में स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए और शाकाहारी भोजन ही ग्रहण करना चाहिए।
दूसरे दिन खरना तिथि का शुभ मुहूर्त
छठ पूजा का पहला दिन नहाय-खाय होता है। पंडित आशीष शर्मा के मुताबिक, नहाय-खाय इस साल 17 नवंबर को है। इस दिन सूर्योदय 06:45 बजे होगा वहीं, सूर्यास्त शाम 05:27 बजे होगा। इस दौरान नदी में स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए और शाकाहारी भोजन ही ग्रहण करना चाहिए।
तीसरे दिन शाम को सूर्य के अर्घ्य
छठ पूजा पर तीसरे दिन शाम के समय सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है। इस साल छठ पूजा का संध्या अर्घ्य 19 नवंबर को शाम 05:26 बजे होगा। सूर्य देव को अर्घ्य देते समय टोकरी में फलों, ठेकुआ, चावल के लड्डू आदि जरूर रखना चाहिए। नदी या या तालाब में कमर तक पानी में रहकर सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए।
आखिरी दिन उगते सूर्य को अर्घ्य
छठ महापर्व के आखिरी दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है। 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य का समय सुबह 06:47 बजे होगा। इसके बाद 36 घंटे का व्रत समाप्त होता है। इस व्रत को यदि विधि-विधान से किया जाता है तो संतान सुख की प्राप्ति होती है और संतान की आयु लंबी होती है।
डिसक्लेमर - 'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'
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