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मरुधर गूंज, बीकानेर (26 दिसम्बर, 2023)। हिंदू धर्म में पौष माह का विशेष महत्व है। पौराणिक मान्यता है कि पौष माह में सूर्य देव की विशेष आराधना करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। हिंदू पंचांग के मुताबिक, पौष माह इस बार 27 दिसंबर से शुरू होने वाला है, जो 25 जनवरी को समाप्त होगा। प्रेम शंकर शर्मा के अनुसार पौष मास में भगवान सूर्य और पितरों की पूजा आराधना की जाती है, जिससे शुभ फल की प्राप्ति होती है।
पौष मास का पौराणिक महत्व
ज्योतिष्य प्रेम शंकर शर्मा के अनुसार पौष माह की पूर्णिमा को चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में होता है इसलिए इसका नाम पौष रखा गया। हिंदू धर्म में सूर्य को प्रधान देवता माना गया है। ग्रंथों के अनुसार, पौष मास में सूर्य के भग स्वरूप की पूजा करनी चाहिए। शास्त्रों में ऐश्वर्य, धर्म, यश, श्री, ज्ञान और वैराग्य को ही भग कहा गया है और इनसे युक्त को ही भगवान माना गया है। ग्रंथों में बताया गया है कि पौष मास में भगवान भास्कर 11 हजार किरणों के साथ तपकर सर्दी से राहत देते हैं। मान्यता है कि पौष महीने में सूर्य पूजा से सेहत अच्छी रहती है और उम्र भी बढ़ती है।
पौष माह में क्या करें
पौष माह में क्या न करें
पौष माह में आने वाले प्रमुख व्रत त्योहार
30 दिसंबर - शनिवार - संकष्टी गणेश चतुर्थी
03 जनवरी - बुधवार - मासिक कृष्ण जन्माष्टमी
04 जनवरी - गुरुवार - कालाष्टमी
07 जनवरी - रविवार - सफला एकादशी
09 जनवरी - मंगलवार - प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि
11 जनवरी - गुरुवार - पौष अमावस्या
14 जनवरी - रविवार - विनायक चतुर्थी और लोहड़ी
15 जनवरी - सोमवार - मकर संक्रांति
16 जनवरी - मंगलवार - बिहू और स्कंद षष्ठी
17 जनवरी - बुधवार - गुरु गोविन्द सिंह जयन्ती
18 जनवरी - गुरुवार - मासिक दुर्गाष्टमी
20 जनवरी - शनिवार - मासिक कार्तिगाई
21 जनवरी - रविवार - तैलंग स्वामी जयन्ती और पुत्रदा एकादशी
22 जनवरी - सोमवार - कूर्म द्वादशी
23 जनवरी - मंगलवार - प्रदोष व्रत
25 जनवरी - गुरुवार - पौष पूर्णिमा
डिसक्लेमर - 'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'
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