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मरुधर गूंज, बीकानेर (23 जून 2024)। राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र बीकानेर परिसर पर आज हिंदी कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ एस सी मेहता ने कहा कि हमें हिंदी को सरल एवं लोकप्रिय बनाना है लेकिन अशुद्ध हिंदी को बढ़ावा नहीं देना है। कृत्रिम बुद्धिमता के दौर में विभिन्न भाषाओं को एक-दूसरे में बदला जा सकता है लेकिन जब आप ऐसा करते हैं तो आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इससे हिंदी ओर क्लिष्ट न बन जाए, क्योंकि कोई भी भाषा लोकप्रिय तभी होगी है जब वह सरल हो। इस अवसर पर उन्होंने उनके आकाशवाणी कार्यक्रम “ऊंटा री बातां“ का जिक्र करते हुए कहा कि इस कार्यक्रम के जो लक्षित श्रोता थे वो आज भी अंग्रजी तो दूर, सही से हिंदी भी नहीं बोल पाते हैं।
मुख्य अतिथि आकाशवाणी के कार्यक्रम प्रमुख श्री अमित सिंह ने कहा कि अनुसन्धान कार्य अधिकतर अंग्रेजी में ही प्रकाशित होते हैं लेकिन जब वह अपना मूर्तरूप लेकर आम जनता के योग्य बन जाता है तो उसका हिंदी में प्रकाशित एवं प्रसारित होना बहुत आवश्यक हो जाता है ऐसे में आकाशवाणी आज भी एक सशक्त माध्यम के रूप में उपलब्ध है। उन्होंने यह भी कहा कि आपदा के समय में भी जब अन्य संचार माध्यम ठीक से कार्य नहीं कर पाते तब भी आकाशवाणी जन संपर्क के लिए उपलब्ध होता है। कार्यशाला के मुख्य हिंदी वक्ता के रूप में विचार व्यक्त करते हुए श्री महेश्वर नारायण शर्मा, कार्यक्रम अधिशाषी (हिंदी), आकाशवाणी, बीकानेर ने “हिंदी के प्रसार में आकाशवाणी के प्रयास” विषय विस्तृत व्यख्यान दिया एवं बताया कि हिंदी में हर प्रकार के विषय को उसके लक्षित श्रोता तक पहुचने के लिए आज आकाशवाणी के पास अनेक प्रकार के कार्यक्रम हैं चाहे लक्षित श्रोता युवा हो, महिला हो, किसान हो, विद्यार्थी हो, व्यापारी हो, मरीज हो या कोई ओर, आज भी आकाशवाणी हर वर्ग के लिए गुणवत्तापूर्ण जानकारी को मर्यादित भाषा में देश के हर कोने में पहुँचाने की क्षमता के लिए जाना जाता है एवं इस प्रकार यह हिंदी को बढ़ावा देने में यह हर स्तर पर कार्यरत है। केंद्र के हिंदी अधिकारी श्री कमल सिंह ने कार्यक्रम का संयोजन किया। कार्यक्रम में डॉ राव, डॉ कुट्टी, डॉ जितेन्द्र सिंह, नरेन्द्र चौहान एवं केंद्र के अन्य अधिकारीयों एवं कर्मचारियों ने भाग लिया।
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