गया में पितरों का तर्पण करने के बाद भी नहीं छोड़ना चाहिए उनका श्राद्ध

  



मरुधर गूंज, बीकानेर (17 सितम्बर 2024 )। इस वर्ष श्राद्ध पक्ष की शुरुआत 18 सितंबर से हो रही है। धर्मशास्त्रों में इस दौरान पितरों के लिए तर्पण और पिंडदान करने का विशेष महत्व बताया गया है। इस दौरान गया जी में पितरों के तर्पण का महत्व भी है।


ज्योतिषाचार्य प्रेम शंकर शर्मा के अनुसार कई लोग गया जी में श्राद्ध करने के बाद अपने पितरों के निमित्त धूप, ध्यान, पिंडदान नहीं करते, जबकि यह गलत है। शास्त्रीय अभिमत के अनुसार देखें तो श्राद्ध प्रतिवर्ष करने की स्थितियां हैं अर्थात श्राद्ध हर वर्ष करने चाहिए।



नित्य श्राद्ध को त्यागना नहीं चाहिए

तर्पण श्राद्ध, पार्वण श्राद्ध, तीर्थ श्राद्ध यह नित्य हैं, इन्हें त्यागना नहीं चाहिए। इनके त्याग से पितरों का दोष लगना शुरू हो जाता है, रही बात गया श्राद्ध की तो पौराणिक मत यह है कि जो पुत्र तन, मन, धन से योग्य है वह पितरों के निमित्त गया श्राद्ध अवश्य करें, यह लिखा है।


गया में पितरों को छोड़कर के आ जाइए ऐसा नहीं लिखा है। इसलिए भ्रांति से निकल करके गया श्राद्ध के बाद भी पितरों के निमित्त तीर्थ श्राद्ध या पार्वण श्राद्ध अवश्य करना चाहिए।


किस तारीख, वार को कौन सी तिथि का श्राद्ध


  • दिनांक                वार           श्राद्ध तिथियाँ

  • 17 सितम्बर (मंगलवार) पूर्णिमा श्राद्ध

  • 18 सितम्बर (बुधवार)         पूर्णिमा श्राद्ध उपरांत, प्रतिपदा श्राद्ध

  • 19 सितम्बर (गुरुवार)         द्वितीया श्राद्ध

  • 20 सितम्बर (शुक्रवार)         तृतीया श्राद्ध

  • 21 सितम्बर (शनिवार)         चतुर्थी श्राद्ध

  • 22 सितम्बर (रविवार)         पंचमी श्राद्ध, षष्ठी श्राद्ध 

  • 23 सितम्बर (सोमवार)         सप्तमी श्राद्ध

  • 24 सितम्बर (मंगलवार) अष्टमी श्राद्ध

  • 25 सितम्बर (बुधवार)         नवमी श्राद्ध सौभाग्यवतियों का श्राद्ध

  • 26 सितम्बर (गुरुवार)         दशमी श्राद्ध

  • 27 सितम्बर (शुक्रवार)         एकादशी श्राद्ध

  • 28 सितम्बर (शनिवार)         एकादशी का एकोद्दिष्ट श्राद्ध

  • 29 सितम्बर (रविवार)         द्वादशी श्राद्ध, संन्यासियों का श्राद्ध, मघा श्राद्ध

  • 30 सितम्बर (सोमवार)         त्रयोदशी श्राद्ध

  • 01 अक्टूबर (मंगलवार) चतुर्दशी श्राद्ध

  • 02 अक्टूबर (बुधवार)         सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या श्राद्ध, पितृपक्ष पूर्ण




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