करवा चौथ के व्रत और कथा से मिलेगी अखंड सौभाग्य की प्राप्ति





मरुधर गूंज, बीकानेर (18 अक्टूबर 2024)। सनातन धर्म में करवा चौथ का पर्व सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस त्योहार पर सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। इस दौरान वह सूर्योदय होने पर व्रत शुरू करती है। चंद्रोदय के साथ ही उनका व्रत समाप्त हो जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को रखनी वाली महिलाओं का वैवाहिक जीवन बहुत ही शानदार रहता है। उनको अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस आर्टिकल में हम आपको करवा चौथ व्रत के नियमों के बारे में बताएंगे।


इन नियमों का करें पालन

  • करवा चौथ के व्रत के दौरान सुहागिन महिलाओं को लाल वस्त्र पहनना चाहिए। लाल रंग का वस्त्र सुहाग की निशानी होता है।

  • पूजा अर्चना के दौरान सुहागिन महिलाओं को 16 श्रृंगार करना चाहिए। उसके बाद पूजा-अर्चना करनी चाहिए।

  • महिलाओं को यह ध्यान रखना चाहिए कि चंद्रमा के दर्शन के बाद ही व्रत को पूरा करना चाहिए।

  • व्रत के दौरान किसी के खिलाफ गलत विचार नहीं लेकर आने चाहिए।

  • व्रत के दौरान अन्न व जल का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।


इस विधि से करें व्रत को करें पूरा 

करवा चौथ का व्रत चंद्र दर्शन और अर्घ्य देने के बाद ही पूरा होता है। महिलाएं इस दिन का चांद का सबसे ज्यादा इंतजार करती हैं, क्योंकि इस व्रत में वह पानी तक नहीं पीती हैं। चांद के निकलने के बाद व्रत को पूरा करने के लिए पूजा करें। एक दीपक जलाएं और छलनी से चंद्रमा के दर्शन करने के बाद पति को देखें। उसके बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर पति के हाथों से जल को ग्रहण करें।


करवा चौथ की पूजा सामग्री

  1. करवा माता और गणेश जी की तस्वीर या मूर्ति

  2. करवा माता के लिए चुनरी, नए कपड़े, गणेश जी और शंकर जी के लिए नए वस्त्र

  3. मिट्टी का करवा, एक ढक्कन, एक थाली

  4. चांद देखने के लिए एक छलनी, लकड़ी की एक चौकी

  5. सोलह श्रृंगार की समाग्री, एक कलश, दीपक, रूई की बाती

  6. कपूर, अगरबत्ती, गेहूं, लहुआ, 8 पूड़ियों की अठावरी

  7. अक्षत्, हल्दी, चंदन, फूल, पान का पत्ता, कच्चा दूध, दही

  8. शक्कर का बूरा, शहद, गाय का घी, रोली, कुमकुम

  9. मौली या रक्षासूत्र, मिठाई, एक लोटा या गिलास, दक्षिणा

  10. करवा चौथ व्रत कथा और आरती की एक पुस्तक


करवा चौथ के पूजा मंत्र

करवा चौथ में माता पार्वती, विघ्नहर्ता गणेश और शिव जी की पूजा का विधान है, इसलिए उनके ही मंत्रों का उपयोग पूजन में होता है।


1. मां पार्वती की पूजा का मंत्र: 


देहि सौभाग्य आरोग्यं देहि मे परम् सुखम्। 
सन्तान देहि धनं देहि सर्वकामांश्च देहि मे।।


2. गणेश पूजा मंत्र : 


ॐ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। 
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥


3. शिव पूजा मंत्र : 


ॐ नम: शिवाय



चंद्रमा को अर्घ्य देने का मंत्र

करवा चौथ को चंद्रोदय होने पर चंद्रमा की पूजा करते हैं। चंद्रमा को कच्चा दूध, गंगाजल, अक्षत्, फूल आदि से अर्घ्य देते हैं। इसके लिए आपको अर्घ्य देने के मंत्र का उच्चारण करते हैं।


गगनार्णवमाणिक्य चन्द्र दाक्षायणीपते।
गृहाणार्घ्यं मया दत्तं गणेशप्रतिरूपक॥


करवा चौथ के व्रत की कथा 

करवा चौथ की कहानी है कि, देवी करवा अपने पति के साथ तुंगभद्रा नदी के पास रहती थीं। एक दिन करवा के पति नदी में स्नान करने गए तो एक मगरमच्छ ने उनका पैर पकड़ लिया और नदी में खिंचने लगा। मृत्यु करीब देखकर करवा के पति करवा को पुकारने लगे। करवा दौड़कर नदी के पास पहुंचीं और पति को मृत्यु के मुंह में ले जाते मगर को देखा। करवा ने तुरंत एक कच्चा धागा लेकर मगरमच्छ को एक पेड़ से बांध दिया। करवा के सतीत्व के कारण मगरमच्छा कच्चे धागे में ऐसा बंधा की टस से मस नहीं हो पा रहा था। करवा के पति और मगरमच्छ दोनों के प्राण संकट में फंसे थे।


करवा ने यमराज को पुकारा और अपने पति को जीवनदान देने और मगरमच्छ को मृत्युदंड देने के लिए कहा। यमराज ने कहा मैं ऐसा नहीं कर सकता क्योंकि अभी मगरमच्छ की आयु शेष है और तुम्हारे पति की आयु पूरी हो चुकी है। क्रोधित होकर करवा ने यमराज से कहा, अगर आपने ऐसा नहीं किया तो मैं आपको शाप दे दूंगी। सती के शाप से भयभीत होकर यमराज ने तुरंत मगरमच्छ को यमलोक भेज दिया और करवा के पति को जीवनदान दिया। इसलिए करवाचौथ के व्रत में सुहागन स्त्रियां करवा माता से प्रार्थना करती हैं कि हे करवा माता जैसे आपने अपने पति को मृत्यु के मुंह से वापस निकाल लिया वैसे ही मेरे सुहाग की भी रक्षा करना।


करवा माता की तरह सावित्री ने भी कच्चे धागे से अपने पति को वट वृक्ष के नीचे लपेट कर रख था। कच्चे धागे में लिपटा प्रेम और विश्वास ऐसा था कि यमराज सावित्री के पति के प्राण अपने साथ लेकर नहीं जा सके। सावित्री के पति के प्राण को यमराज को लौटाना पड़ा और सावित्री को वरदान देना पड़ा कि उनका सुहाग हमेशा बना रहेगा और लंबे समय तक दोनों साथ रहेंगे।


करवा चौथ आरती


ॐ जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।। ॐ जय करवा मैया।


सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी।
यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी।।


कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती।
दीर्घायु पति होवे , दुख सारे हरती।।


ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।


होए सुहागिन नारी, सुख संपत्ति पावे।
गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे।।


ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।


करवा मैया की आरती, व्रत कर जो गावे।
व्रत हो जाता पूरन, सब विधि सुख पावे।।


ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।



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